लोकी का 2जी टिप्स कैसे करें:
जब लोकी का पौधा में 10 से 12 पत्ते आ जाएं तब आपके इलाज के सबसे ऊपरी हिस्से को किसी भी तरह से या ब्लड के मीडियम से काट दे। ऊपरी भाग के नीचे कोई भी शाखा निकल रही हो तो उसे भी काट लें। सलाह देने के बाद एक ही जगह से दो अवशेष नष्ट हो गए। इसलिए इसे 2जी सलाह कहा जाता है।
लोकी के पौधे का 4जी टिप्स कैसे करें:
15 से 20 दिन के बाद 2जी अकाउंट बनाना ठीक है, आप दोनों शाखों के ऊपरी भाग को काट लें। ऐसा करने से दोनों शाखों से दो-दो रिश्ते टूट गए। इस प्रकार दो और दो चार चट्टानें निकलती हैं। इसलिए इसे 4जी सर्विस कहा जाता है। अब एक ही लोकी के पौधे से चार अवशेष निकलेगी। जिससे लोकी का उत्पादन सबसे ज्यादा होगा। एक लोकी के पौधे से लगभग 1000 लोकी का उत्पादन हो सकता है। इस प्रकार की लॉकी के बारे में जानकारी प्राप्त करके आप अधिक से अधिक लॉकी प्राप्त कर सकते हैं।
लोकी की खेती कैसे करें।
लौकी की खेती एक कृषि उत्पाद है, क्योंकि लौकी में पानी की मात्रा अधिक होती है और यह स्वास्थ्य के लिए भी होती है। यहां लोकी की खेती के प्रमुख चरण दिए गए हैं:
1. जलवायु और मिट्टी का चयन:
: लोकी की फ़सल के लिए गर्म और जलवायु आद्र्र उपयुक्त है। इसकी खेती मुख्यतः गर्मियों और वर्षा के मौसम में होती है।
मिट्टी: लोकी का पौधा लगभग सभी प्रकार के मिशन में आसानी से उगता है। लेकिन दोमट मिट्टी और बलुई मिट्टी में सबसे ज्यादा अच्छा होता है।
2. खेत की तैयारी कैसे करें:
खेत को गहराई तक इकट्ठा करके इसमें कम्पोस्ट या गोबर की खाद शामिल है।
मिट्टी को भुरभुरा कर लें ताकि बालों को आसानी से लाभ और साधन को पर्याप्त पोषण मिले।
3. बीज का चयन और पौधा:
बीज चयन: उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें जो रोग-मुक्त हो।
एशिया का समय: ग्रीष्मकालीन फसल के लिए फरवरी-मार्च और वर्षा की फसल के लिए जून-जुलाई में जाएँ।
बीज की दूरी: बीज की दूरी 1 मीटर से 2 मील होनी चाहिए।
4 लोकी के पौधे की सींचन;
लौकी की खेती में नियमित चयन की आवश्यकता होती है। गर्मियों में 5-7 दिनों के अंतर पर और वर्षा में 10-12 दिनों के अंतर पर करें।
लौकी के हमेशा जड़ में पानी देना चाहिए। ताकि उपकरणों का चारित्रिक विकास हो सके।
5. भोजन एवं देखभाल:
जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट और नीम खली का प्रयोग करें।
फ़सल के प्राकृतिक विकास हो सके। लोकी के पौधे का प्राकृतिक विकास से होने वाला ही लोकी का प्रमुख उत्पादन होगा।
6 प्राथमिक एवं देखभाल:
रैटिक को नियमित रूप से हटा दिया गया है।
कीट और फूलों की निगरानी करें, जैसे कि पत्ती डब्बा रोग, केर्सी स्ट्रेंजरी और लाल मकड़ी का प्रकोप। जैविक रसायन का उपयोग करें।
,7 तुरै और प्रबंधन:
55-60 दिन बाद फल तैयार हो जाते हैं। जब फल मध्यम आकार के हो जाते हैं और उनकी त्वचा और जड़ें हरी हो जाती हैं, तो उन्हें नष्ट कर दें।
समय पर तुड़ाई करने से तय में नये फल आने की संभावना बनी रहती है।
8, आर्थिक और प्रबंधन:
तुड़ाई के बाद फूलों को छाया में रखा गया ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे।
अच्छी गुणवत्ता और समय पर बिक्री से लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
लौकी की खेती में मेहनत और देखभाल की मांग होती है, लेकिन यह किसानों के लिए एक लाभदायक है।
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