सरसों की खेती में राख का प्रयोग करना सीखें: 5 गुना पैदावार बढ़ेगा

किसानों की मशीनरी बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से तरह-तरह का प्रयोग किया जाता है ताकि फसल ज्यादा से ज्यादा हो। विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों की कमी को पूरा करने के लिए तरह-तरह के खाद्य पदार्थों की कमी को पूरा किया जाता है, लेकिन भूमि का ph सबसे अधिक हो जाता है। जिस कारण भूमि का बंटवारा होने की संभावना बढ़ती है। इसलिए आज हम किसानों के लिए एक ऐसे घरेलू खाद के बारे में बता रहे हैं जिसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं और फसल भी अच्छी होती है। आइए जानते हैं इस घरेलू खाद के बारे में।
सरसों के फसल में राख का प्रयोग:
राख में लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्त्व प्राप्त होते हैं। राखी एक ऐसी घरेलू खाद है जो किसानों को मुफ्त में मिल जाती है। इसका उपयोग जड़ी-बूटियों या किसी भी प्रकार की सब्जी या फल की खेती में बहुत उपयोगी होता है। राख में पाए जाने वाले पोषक तत्वों से भरपूर मात्रा होती है। राख का प्रयोग करना भी बहुत आसान है आइए जानते हैं इसके प्रयाग प्रयोग की विधि और समय के बारे में।

सरसों की खेती में राख का प्रयोग कब करना चाहिए।
सरसों के बीज का बिजनेस करने के बाद जब आप सरसों के बीज के टुकड़े बाहरी दिखने लगें तो आप निम्नलिखित पद्धति से राख का छिलाई कर सकते हैं।
खाद की तरह पूरे खेत में चिताये करे। इसके बाद 5 से 7 दिन बाद खेत में पानी डाला गया। इस प्रकार पूरे खेत में रात मिल जाएगी।

कौन सी राख के खेत में चाहिए। 
सरसों के खेत में आप किसी भी तरह का उपयोग कर सकते हैं। जैसे लकड़ी का कचरा या प्लास्टिक जैसे कि मसाले का रख तैयार कर अपने खेत में डाल सकते हैं।


राख में पाए जाने वाले पोषक तत्व।

राख (आर्थट लकड़ी की राख, प्लास्टिक की राख या औषधि की राख) में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी के तत्व के लिए उपयोगी होते हैं। राख में निम्नलिखित प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं:

पोटैशियम (K): राख में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जो कि विदेशी है और अनुमोदित के विकास में सहायक है।
कैल्शियम (Ca): कैल्शियम मिट्टी का पीएच प्राप्त होता है और इसे अधिक कैल्शियम बनाने में मदद मिलती है।
फ़ोर्सास (पी): फ़ोर्सास ऑक्सफ़ोर्ड के ऊर्जा संरक्षण और जड़त्व विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
मैग्नीशियम (एमजी): यह क्लोरोफिल बनाने में सहायक होता है।
मात्रा (Na): मात्रा में थोड़ी मात्रा भी मौजूद हो सकती है।
सिलिका (Si): राख में सिलिका का भी कुछ अंश हो सकता है, जो मिट्टी की मिट्टी में मदद करता है।
सूक्ष्म पोषक तत्व (सूक्ष्म पोषक तत्व): जैसे आयरन (Fe), पियोन (Zn), और मैग्नीज (Mn) की थोड़ी मात्रा पाई जा सकती है।
नोट:
राख का उपयोग केवल मिट्टी से किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे मिट्टी का पोषक तत्त्व कम हो सकता है।
त्रिक राख का प्रयोग न करें क्योंकि इसमें उच्च अपक्षय और लवणीयता हो सकती है, जिससे क्षति पहुंच सकती है।
राख में डाइजेस्ट (एन) की मात्रा बहुत कम होती है या उसके बराबर नहीं होती, इसलिए इसे डाइजेस्ट के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाता है।
राख का उपयोग और मिट्टी की उर्वरता को स्केल किया जा सकता है।

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