Dragon fruit farming: ड्रैगन फ्रूट की खेती पर सरकार दे रही है बंपर सब्सिडी


ड्रैगन की खेती एक आकर्षक व्यवसाय है और भारत में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। इसके वैज्ञानिक का नाम हिलोसेरियस एंड्टस है और इसे 'पिताया' भी कहा जाता है। इसकी खेती मुख्य रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क कृषि वाले क्षेत्रों में होती है।
यहां ड्रैगन की खेती से जुड़ी कुछ मुख्य जानकारी दी गई है:

1. जलवायु और मिट्टी:
: ड्रेगन खिलौने की खेती के लिए गम और सूखी जलवायु को सबसे अधिक माना जाता है। तापमान 20 डिग्री सेल्सियस
 40 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान होने पर फल में रोग का खतरा रहता है।

मिट्टी,
ड्रैगन की खेती के लिए डोमेट मिट्टी और बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इस फल के लिए जरूरी है कि जो पानी सबसे ज्यादा सोखता हो। जमीन ऐसी जगह पर होनी चाहिए जहां पानी टिकट नहीं हो यानी निकल जाता हो। जमीन का ढीला होना जरूरी है। पानी में ड्रैगन तितली की पौध में कट फंगल लग सकता है।

2. ड्रैगन कलाकृति के खेती के बारे में, 
इसका प्लांट जनरल टर्मिनल होता है लेकिन एक से दो साल के भीतर फल शुरू हो जाता है। इसके बीज का चयन सावधानी से करें तो फल लगने में समय लग सकता है। इसकी खेती के लिए आपको ढलान वाली जमीन पर काम करना चाहिए जहां पानी जल्दी निकल जाए।

बीज की दूरी, 
ड्रैगन का बीजकोशिका समय ध्यान केंद्रित करता है कि एक बीच से दूसरे बी की दूरी 2 से 3 मीटर होनी चाहिए। ताकि पौधे को पौधे का स्थान प्राप्त हो सके।
ड्रैगन के सिद्धांतों के उपचार के लिए,
ड्रैगन के सिद्धांतों की विशेषताएँ हैं। इसलिए इसे बांस या अन्य वास्तुशिल्प जैसे मचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसके माध्यम से यह पैमाइश फल देता है।
उपाय की खोज ,
ड्रैगन इलेक्शन के उपचारों को नियमित रूप से सींचना करना चाहिए। हालाँकि भूकंप के मौसम में इसे सींचने की ज़रूरत नहीं है। गर्मी के मौसम में इसे नियमित रूप से सींचना जारी रखना चाहिए ताकि जमीन में मिठास बनी रहे। संकेत करने से संकेत का संकेत विकास होता है और शीघ्र फल लग्न प्रारम्भ हो जाता है।

खाद और गुणवत्ता,
जैविक खाद: गोबर की खाद, वर्मी खाद और नीम की खली का उपयोग किया जा सकता है।
रासायनिक: वैशाख, प्लांटेशियम और पोटैशियम की उचित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
5. किट और रोग, नियंत्रण
ड्रैगन में कीट और राइडर्स का खतरा कम होता है, लेकिन अंडरवॉटरिंग से ड्रैगन, स्टिक में स्किट और नाइट रोटियां का खतरा पैदा हो सकता है। जैविक एवं रासायनिक रसायन शास्त्र का उपयोग करना चाहिए।
6. कटाई और उत्पाद,
ड्रैगन के फल का उत्पादन 2-18 महीने में फल मिलना शुरू हो जाता है। एक बार फल आना शुरू हो जाता है तो 30-40 दिन में फल के उपाय उपयोगी हो जाते हैं।
प्रति पौधा 10-15 किलोमीटर फल आ सकते हैं।
7. बाज़ार और लाभ,
ड्रैगन ड्रैगन की बाजार कीमत बहुत अच्छी है। यह फल औषधीय गुणों से भरपूर है और इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। प्रति किलो 200-400 रुपये तक प्राप्त हो सकते हैं।
8. महत्वपूर्ण जानकारी,
ड्रैगन की खेती के लिए सरकारी किसानों को इसकी खेती के लिए छूट भी दे रही है। यदि किसान अधिक भूमि में अपनी खेती करता है तो सरकार से अनुदान प्राप्त कर सकता है। इसके लिए स्थानीय ब्लॉक में व्यापारी संपर्क कर सकते हैं।

ड्रैगन की खेती में थोड़ी मेहनत और देखभाल से अच्छा काम किया जा सकता है। इसका जबरदस्त नजारा देखने को मिला, भविष्य में यह किसानों के लिए अच्छी आय का स्रोत बन सकता है।
ड्रैगन दिखने का लाभ,

ड्रैगन ड्रैगन, जिसे पिताया या पिटाहाया भी कहा जाता है, एक राक्षसी और स्वास्थ्यवर्धक फल है। इसके सेवन के कुछ मुख्य फायदे इस प्रकार हैं:

1, एंटीऑक्सीडेंट सेपरेंट: ड्रैगन बटर में विटामिन सी, बीटा-कैरोटीन और फाइटोन्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं, जो शरीर को फ्रीकल्स से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे रोग की क्षमता प्रबल होती है।

2, पाचन तंत्र में सुधार: इसमें पाचन तंत्र की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को सही ढंग से बनाए रखता है और शामिल करता है जैसे कि पाचन तंत्र में सहायक होता है।

3, हृदय स्वास्थ्य में सुधार: ड्रैगन में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं।

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ड्रैगन आकृतियाँ क्या हैं?

ड्रैगन ड्रैगन नागफनी का एक पकार का फल है। यहां ऑनलाइन मंगाया या स्थानीय बाजारों से खरीदारी भी की जा सकती है। ड्रैगन के फल के बीज से भी पौधे का अनुमान लगाया जा सकता है। इसकी खेती असम और उत्तराखंड में की जाती है।

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