** भूमिका **
पंजाब, जिसे भारत की "अनाज की थाली" कहा जाता है, लंबे समय से धान की खेती के कारण जल संकट शुरू हो रहा है। राज्य के खनिज स्तर में 0.5 मीटर की गिरावट एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। ऐसे में, पंजाब सरकार ने जल संरक्षण और किसानों की आय की योजना बनाने की दिशा में एक ठोस पहल की है। यह बीज धान की तुलना में कम पानी में उबाई जाने वाली कंपनी को बढ़ावा देने की रणनीति का हिस्सा है।
PMH-17 हाइब्रिड बीज की विशेषताएं**
1. **दोहरा उपयोग**: यह बीज अनाज और पशु चारा (सेलेज) दोनों के लिए उपयुक्त है। किसान अनाज बाजार में बेचकर आय अर्जित कर सकते हैं या मार्केट उद्योग के लिए साइलेज तैयार कर सकते हैं।
2**कम अवधि:
यह फसली लागत **98 दिन** में पककर तैयार हो जाती है, जो कि पारंपरिक उद्यमों से 20-30 दिन कम है।
3**उच्च श्रेणी**
हाइब्रिड का कारण पारंपरिक विविधता की तुलना में उपज 25-30% अधिक है।
**बुवाई का सही समय और बहू के लिए लाभ**
PMH-17 की समाप्ति **अंतिम सप्ताह से जून के अंत तक** हो सकती है। इसकी कम अवधि की अवधि के किसानों को एक ही सीजन में दो फसलें लेने या समय पर रबी की फसल (जैसे टुकड़े) की समीक्षा का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, मक्का की कटाई के बाद किसान सब्जियाँ या दलहनी फसलें उगा सकते हैं, जिससे भूमि का उपयोग अधिक कुशल होगा।
**जल संरक्षण योगदान**
धान की खेती में प्रति पौधा उत्पादन के लिए लगभग **5000 लीटर पानी** की आवश्यकता होती है, जबकि मक्का में यह 50-60% कम है। PMH-17 के उद्देश्य से पंजाब के किसान प्रति वर्ष **अरबों किलोलीटर पानी बचा** सकते हैं, जो किसान स्तर को स्थिर करने में मदद करेगा।
**आर्थिक लाभ और बाज़ार**
- **सेलेज की मांग**: पंजाब और पड़ोसी एशिया में उद्योग उद्योग के तेजी से विस्तार के साथ, सिलेज की मांग बढ़ी है। एक नोट से 18-20 टन साइलेज का उत्पादन संभव है, जिससे ₹20,000-25,000 की अतिरिक्त आय हो सकती है।
- **सरकारी समर्थन**: पंजाब सरकार एमएसपी के अलावा मक्का खरीद के लिए निजी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिससे किसानों को बाजार में हिस्सेदारी मिल सके।
**चुनौतियाँ और समाधान**
हालाँकि किसानों को धान से मक्का की ओर मोड़ना आसान नहीं होगा। इसके लिए:
- **जागरूकता अभियान**: कृषि विशेषज्ञों द्वारा परामर्श पर प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।
- **सब्सिडी**: बीज और उपकरण पर अनुदान दिया जा रहा है।
- **फसल चक्र विरोधाभास पर जोर**: कृषि विभाग किसानों को मक्का-गेहूं या मक्का-सब्जी चक्र विरोधाभास के लिए प्रेरित कर रहा है।
**निष्कर्ष**
पीएमएच-17 पंजाब की कृषि को जल-सुरक्षित और पर्यटन बनाने की दिशा में एक उदाहरण है। यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार और किसानों के सामूहिक प्रयास से यह पहला राज्य की हरित क्रांति के नए अध्याय का आधार बन सकता है।
**समाप्त**
(इस लेख में पीएमएच-17 के तकनीकी पहलुओं, लक्ष्यों और आर्थिक प्रभाव को समझने में सहायक होगा। साथ ही, यह कृषि नीति और जल प्रबंधन पर चर्चा को बढ़ावा देगा।
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