मुर्रा भैंस क्यों है डेयरी किसानों की पहली पसंद? जाने इसकी कीमत और खासियत

मुर्रा बफ़ेलो (मुर्रा बफ़ेलो) भारत की एक प्रमुख बफ़ेलो नस्ल है, जो अपने उच्च दूध उत्पाद और गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। यह नस्ल मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पायी जाती है। मुर्रा बफ़ेलो को पालने के कई फायदे हैं, जो निम्नलिखित हैं:
मुर्रा बफ़ेलो की प्रकृति :
.उच्च दूध उत्पादन,
 मुर्रा बफ़ेलो प्रतिदिन 10 से 15 लीटर तक दूध दे सकती है, और कुछ अच्छी नस्ल की बफ़ेलो 20 से 25 लीटर तक दूध दे सकती है। इसमें दूध में वसा (फैट) की मात्रा अधिक (लगभग 6-7%) होती है, जो इसे बहुत बनाता है।
   
2.मुर्रा भैंम स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है।
 बफ़ेलो स्वस्थ और मजबूत होता है, जिससे इसे पालने में कम नुकसान होता है। यह नस्ल कई स्थिर उपकरणों की क्षमता रखती है।

3. लंबी उम्र और दूध की उम्र:

मुर्रा बफ़ेलो की स्टोरी लंबे समय तक बनी रहती है। यह लगभग 15-20 वर्ष तक दूध दे सकता है।

4.अच्छी प्रजनन क्षमता:
 मुरा बफ़ेलो की उत्पादन क्षमता अच्छी होती है, जिससे इसकी संख्या बढ़ाना आसान हो जाता है।

5.मुर्रा भैंस का दूध बाजार में मांग अधिक:
 मुर्रा रभंस के दूध और संतनों की बाजार में अच्छी मांग होती है, जिससे पशुपालकों को अच्छी बढ़त मिलती है।

मुर्रा भैंस की कीमत:
मुर्रा बफ़ेलो की कीमत उसकी आयु, स्वास्थ्य, दूध उत्पादन क्षमता और नस्ल की सांख्यिकी पर निर्भर करती है। आमतौर पर, एक अच्छे मुर्रा भैंसे की कीमत **1 लाख से 2.5 लाख रुपये** तक हो सकती है। कुछ उच्च गुणवत्ता वाली बफ़ेलो की कीमत इससे भी अधिक हो सकती है।

मुर्रा बफ़ेलो का दूध उत्पाद:
 **प्रतिदिन*10 से 15 लीटर (औसतन), कुछ बफ़ेलोएँ 20-25 लीटर तक दे सकते हैं।
- **वार्षिक**: लगभग 2,500 से 3,500 लीटर तक।

मुर्रा बफ़ेलो पालन के फायदे:

- दूध की अच्छी कीमत है।
- दूध की क्वालिटी उच्च होती है, जिससे घी और अन्य ब्रांड के उत्पाद बनाने में फायदा होता है।
- इसके संतो को बेचकर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है।

निष्कर्ष: मुरारा बफ़ेलो पालन एक लाभकारी व्यवसाय है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां मकोड़े की मांग अधिक है। इसकी देखभाल और प्रबंधन सही तरीके से किया जाए तो यह एक स्थायी आय का स्रोत बन सकता है।

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