समस्या: जलभराव से कमजोर तने
धान की फसल में जब पौधों की उम्र लगभग 20 दिन होती है और लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी भर जाता है, तो पौधों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं और तना ढीला पड़ने लगता है। ऐसे में कल्ले (साइड शूट्स) सही से विकसित नहीं हो पाते, जिससे फसल की पैदावार पर असर पड़ता है।
समाधान: टेलरिंग (Tailing) तकनीक
वीडियो में विशेषज्ञों ने इस स्थिति से निपटने के लिए टेलरिंग तकनीक अपनाने की सलाह दी। इस तकनीक में पौधों को आवश्यक पोषक तत्व सही समय और अनुपात में देकर तनों को मजबूत किया जाता है और कल्लों की संख्या बढ़ाई जाती है।
1 एकड़ के लिए टेलरिंग का मिश्रण अनुपात
सामग्री | मात्रा |
---|---|
यूरिया (Urea) | 6–8 किलोग्राम |
डीएपी (DAP) | 5 किलोग्राम |
जिंक सल्फेट (Zinc Sulphate) | 2 किलोग्राम |
पोटाश (MOP – Murate of Potash) (यदि आवश्यक हो) | 3–4 किलोग्राम |
बोरोन (Boron) (ऐच्छिक) | 250 ग्राम |
टेलरिंग करने का सही समय
- पौधों की उम्र 18–22 दिन हो।
- खेत में हल्का पानी जमा हो या हाल ही में बारिश हुई हो।
- यह समय इसलिए खास है क्योंकि इसी दौरान कल्ले (tillers) निकलना शुरू होते हैं।
टेलरिंग डालने का तरीका
- सूखी या हल्की नमी वाली भूमि में मिश्रण छिड़कें।
- अगर खेत में खरपतवार न हो, तो असर और तेज़ होगा।
- मिश्रण को broadcasting तरीके से समान रूप से फैलाएं।
- इसके बाद हल्का पानी छोड़ें ताकि खाद जमीन में अच्छी तरह समा जाए।
सावधानियाँ
- यूरिया और डीएपी अधिक मात्रा में न डालें, वरना पत्तियाँ जल सकती हैं।
- टेलरिंग केवल एक बार करें — बार-बार करने से नुकसान हो सकता है।
- बारिश की संभावना हो तो खाद डालने के 1–2 घंटे बाद पानी दें।
टेलरिंग के फायदे
- तना मजबूत होता है और पौधे गिरने से बचते हैं।
- कल्लों की संख्या बढ़ती है, जिससे पत्तियाँ घनी होती हैं।
- अंततः पैदावार और पौधों की सेहत में सुधार होता है।
विशेषज्ञ की राय
यह तकनीक विशेष रूप से उन खेतों के लिए उपयोगी है, जहां जल स्तर अधिक रहता है। इससे पौधों के विकास में आई रुकावट को समय रहते दूर किया जा सकता है।
निष्कर्ष
अगर 20 दिन की अवस्था में धान के खेत में पानी बढ़ जाए और पौधों की जड़ें कमजोर होने लगें, तो टेलरिंग तकनीक अपनाकर फसल को संभाला जा सकता है। यह तरीका पौधों को जरूरी पोषण देकर तनों को मजबूत बनाता है और पैदावार में बढ़ोतरी करता है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
- टेलरिंग तकनीक कब करनी चाहिए?
- जब पौधों की उम्र 18–22 दिन हो और खेत में हल्का पानी जमा हो।
- क्या टेलरिंग बार-बार करनी चाहिए?
- नहीं, इसे केवल एक बार करना चाहिए।
- अगर पत्तियाँ पीली पड़ रही हों तो क्या टेलरिंग मदद करेगी?
- हाँ, सही पोषक तत्व मिलने से पत्तियों का रंग और पौधों की सेहत में सुधार होगा।
- क्या यह तकनीक सभी प्रकार के धान में अपनाई जा सकती है?
- हाँ, लेकिन उच्च जल स्तर वाले खेतों में यह विशेष रूप से असरदार है।
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